22 November, 2009



पत्नी (कमल कुमार जी)

घर के बाहर
तुम्हारी नामपट्टी है
भीतरकुर्सी हैंमेज़ हैं
सोफा हैंकारपेट हैं
दीवारें हैंछतें हैं
सब कुछ बहुवचन में -
एकवचन में - मैं
पति अफसर है
कलक्टर सही
पर अफसर है
अफसर तो अफसर होता है
क्योंकि जंगल जंगल होता है।
तुम कारपेट की तरह
बिछी रहो,
परदे की तरह
लटकी रहो
शेंडलियर-सी
उजागर रहो
फ्रेम में जडी अनुक्रृअति
(
किसी बडे कलाकार की)
बढाती रहो
ड्राइंग-रूम की शोभा।
तुम कितनी सुशील हो
धर्मपरायण हो
मेरी पत्नी हो
दुधारू गाय हो

हमारे घर की अचेतन वस्तुएँ : कुर्सी, मेज़, सोफा, कारपेट, दीवारें, छतें, परदे और अंत में झाडू।

जंगल शब्द से मतलब : शेर जंगल का राजा है, वह अपनी मनमानी करने में हिचकता नहीं। पति भी अपने घर में मनमानी करता है। पत्नी सब कुछ सहकर चुप रहती है। वह अपने पति के लिए काम ही करती है। पति घर को जंगल जैसा समझता है।

औरत की तुलना कारपेट और परदे से क्यों किया गया है? : हम कारपेट और परदे घर की शोभा बढाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। कारपेट ठंडक में हम्हें सुख प्रदान करती है। खिडकियों पर परदे इसलिए टाँकते हैं कि दूसरे हमारे घर के अंदर झाँककर देख सकें। कमल कुमार जी के अनुसार घर में पत्नी भी पति को सुख देने के लिए है। दूसरों के सामने पति कहता है कि यह मेरी पत्नी है, परंतु घर में पत्नी को पति जैसा समान स्थान नहीं मिलता वह पति के लिए काम करनेवाली रह जाती है।

नारी केवल ड्राइंग रूम की शोभा बढानेवाली चीज़ है? कभी भी नहीं नारी का नर जैसा समान स्थान है, चाहे वह घर हो या दुनिया। नारी और नर को मिलकर ही अपने जीवन को आगे बढाना है, उसे उजागर करना है, उसकी शोभा बढाना है।

दुधारू गाय और पत्नी से क्या संबंध है? कमल कुमार जी की राय में पति सोचता है कि उसको सुख देने के लिए ही पत्नी है।
दुनिया में दहेज प्रथा है। पति को जो कुछ चाहिए, वह सब पत्नी को देना पडेगा। गाय हमें दूध देती है। हर दिन गाय से हम यह प्रतीक्षा करते हैं कि वह ज़्यादा से ज़्यादा दूध दें। पर एक दिन ऐसा होगा कि वह दूध देना बंद कर देती है। तब उसकी हालत क्या होगी? लोग उसे लेकर क्या करेंगे? ज़रूर उसे बिकने की सोच में पड जाएँगे।उसी प्रकार आज हमारी माँओं की स्थिती भी ऐसी है। इस बुरे विचार से लोगों को बचाने के लिए हम क्या-क्या करें? सूचना पट तैयार करें, नारियों से हो रही अत्याचार के प्रतिशोध में नारे लगाकर अभियान चलाएँ, नुक्कड नाटक पेश करें

वर्तमान समाज और स्त्री : माँ, माँ होती है। माँ को सिर्फ नारी या स्त्री समझना ठीक नहीं है। आज के समाज में स्त्री का स्थान क्या है? स्त्री हमारे सामने माँ, बहन, पत्नी, बेटी, नानी-दादी के रूप में प्रकट है। नारी की ओर समाज का दृष्टिकोण क्या है? कमल कुमार जी की कविता में पत्नी का ऐसा चित्र है, जो दुधारू गाय की तरह हमारे सामने प्रस्तुत है। पर ऐसा ही सोचना उचित नहीं है। हमारे सामने ऐसे अनेक सपूत है, जैसे मदर तेरेसा, इंदिरा गाँधी, , कल्पना चावला, किरण बेदी, शैख हसीना, सुगतकुमारी आदि जिन्होंने कर दिखाया है कि वे सिर्फ घरेलू काम करने के लिए ही नहीं, पर सारी दुनिया को सही रास्ते पर चलाने के लिए जन्मे हैं। वर्तमान समाज में नारी का नर के समान ही स्थान है।
(राजेश पुतुमना जी से तैयार किया गया अनुकूलित रूप पढने के लिए क्लिक करें…)

1 comment:

रवि रतलामी said...

कड़क व्यंग्य है.