14 May, 2010

नवीं कक्षा के पाठपुस्तक में जो गोदान की शुरुआत दी गयी है, सहायता के लिए गोदान उपन्यास का संक्षिप्त रूप:-
पाँव तले दबी गर्दन : --
गोदान
मुख्यपात्र परिचय
होरी – बेलारी गाँव का किसान
धनिया – होरी की पत्नी
गोबर – होरी का पुत्र
भोला - दूसरे गाँव का बूढा किसान

झुनिया - भोला की विधवा पुत्री
रायसाहब अमरपाल सिंह - बेलारी गाँव का ज़मीन्दार
हीरा और शोभा - होरी के भाई
पुनिया - हीरा की पत्नी
नोहरी - भोला की दूसरी पत्नी

कामता और जंगी - भोला के पुत्र



होरी की कहानी - पत्नी धनिया, पुत्र गोबर। होरी किसान की एकमात्र अभिलाषा थी कि उसके घर के सामने गाय बाँधना। वह गाँव के ज़मीन्दार रायसाहब के यहाँ अक्सर जाया करता था। भोला दूसरे गाँव का बूढा किसान आकर ज़मीन्दार जी से गाय ले गया। रास्ते में होरी ने उसे देख लिया और भूसा देकर कुछ दिन के लिए वह गाय अपने घर ले गया। हीरा और मोती, होरी के भाई थे पर उनके बीच की संबंध ठीक नहीं थी। हीरा ने गाय को ज़ह देकर मार डाला। पुलीस के भय में हीरा गाँव से भाग गया।
गोबर और भोला की विधवा पुत्री झुनिया प्रेमबद्ध हो गये। कुछ दिन बीत जाने पर झुनिया गर्भवति हो गयी। गोबर झुनिया को अपने घर में शरण दिया और गाँववालों की डर से गाँव छोडकर भाग गया। अब झुनिया का संरक्षण होरी के कंधों पर आ गया।

भोला गाय वापस लेने आया। इधर झुनिया को होरी ने शरण दे रखा था, यह देखकर भोला गाय वापस माँगने लगा तो होरी ने अपने दोनों बैल भोला को दे दिया। बैल के नष्ट हो जाने पर होरी किसान न रहा था। उसको दूसरों के खेतों में काम करना पडा। वह गाँव में कंकड की खुदाई करने लग। होरी का स्वास्थ्य बुरी हो गयी थी। फिर भी वह काम करता रहा। कुछ दिन बाद गोबर वाप
आ गया। उसने भोला से अपने बैल वापस ले आया पर होरी इसे स्वीकारने के लिए तैयार न हुआ। गोबर झुनिया को लेकर चला गया। कुछ दिन बाद हीरा वापस आया और होरी से क्षमा माँगा।
अब होरी संतोषवान था। जीवन के सारे संकट, सारी परेशानियाँ, सारी निराशाएँ मानो उसके पैरों पर लेट रही थी। पर ईश्वर का निश्च्य तो अंतिम होता है - होरी की मृत्यु
हो गयी। गाँववाले गोदान के लिए धनिया से बोले तो वह मूर्छित होकर गिर पडी।

13 May, 2010

2010 के अध्यापक सशक्तीकरण कार्यक्रम
में ऐ सी टी द्वारा दिखाने के लिए सी डी में दी गयी सामग्रियाँ ।
डी आर जी महोदयों की सहायता के लिए...

क्लिक करके डौणलोड करें…